मंजिल तो पाना है।

शिखर पर जाना है।

चाहे कुछ भी हो जाये,

खुद से किये वादा निभाना है।

संजय कुमार निषाद


Monday, March 3, 2008

होली आई

रंग-गुलाल और लेकर फाल्गुनी वयार।

मधुमास में होली आई।

आम्र मंजरों की गंध।

दरख्त के नव पल्लवों के संग।

चहुँ ओर हरियाली लाई।

मधुमास में होली आई।

प्रकृति रानी सजी नव परिधान में।

गा रही पीकी सुरीली तान में।

भँवरों का विरह गीत सबको भायी।

मधुमास में होली आई।

भेदभाव बैरता मिटाने।

भाईचारा का पाठ पढ़ाने।

प्रेम के विविध रंगों में,

जग के कोना-कोना को रंगाने।

बच्चे बूढ़े और युवाओं में है नव उमंग छाई।

मधुमास में होली आई।

संजय कुमार निषाद

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