मंजिल तो पाना है।

शिखर पर जाना है।

चाहे कुछ भी हो जाये,

खुद से किये वादा निभाना है।

संजय कुमार निषाद


Monday, March 3, 2008

विकास के नये फार्मूले

महाराष्ट्र के हाल के घटनाक्रम में भारत को एक अनमोल रत्न मिला। माननीय राजनेता श्री राज ठाकरे जी को महाराष्ट्र के विकास पुरूष ओैर महान चिंतक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। विकासवाद के भाषा एवं क्षेत्र आधारित सिद्धांत महाराष्ट्र को देकार उन्होंने भारतीय अर्थशास्त्रियों को मात दे दिये । आशा है मराठाभाषी उन्हें युगों युगों तक याद करेंगे, इस नवीन सिद्धांत के लिए । मेरी माने तो यथाशीघ्र उन्हें, नोबेल पुरस्कार एवं भारत रत्न मिल जानी चाहिए । महाराष्ट्र की धरती जो ज्योति बा फुले एवं बाबा साहब अंबेडकर के लिए जाने जाती हैं अब राज ठाकरे से जानी जायेगी । अगर श्री ठाकरे एकाध सदी पहले महाराष्ट्र की धरती पर जन्म लेते तो आज महाराष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक परिदृश्य कुछ और होता । वहाँ के मराठाभाषी को गरीबी जैसे सामाजिक कलंक का मुँह नहीं देखना पड़ता । श्री ठाकरे को इस नवीन सिद्धांत के लिए लाख-लाख बधाई ।

आगे विकास के भाषा एवं क्षेत्र आधारित इस नवीन फार्मूले पर सूक्ष्म विवेचना करंेगे ।

फार्मूला ः महाराष्ट्र सिर्फ मराठी भाषी के लिए है । यानि अन्य भाषा-भाषी को महाराष्ट्र में नहीं रहना चाहिए, इससे ही महाराष्ट्र का विकास होगा, मराठियों को रोजगार मिलेगा फलतः गरीबी मिटेगा ।

समर्थन ः महाराष्ट्र के बड़े शहरांे के कुछ लोगों को श्री ठाकरे का फार्मूला पसंद आया एवं लोगों ने इन शहरों से अन्य भाषा-भाषी लोगों को मारपीटकर बाहर निकालना शुरू कर दिया है ।

तात्कालिक लाभ-महाराष्ट्र के बड़े शहरों से जब अन्य भाषा भाषी लोगों को मार-पीट कर जबरदस्ती बाहर निकाला जायेगा, तो उनकी सम्पत्ति, कारोबार एवं रोजगार मराठियों को मुफ्त में मिल जायेंगी । इस प्रकार मराठियों को तुरंत लूटी हुयी संप+ित्त, छोड़े हुए कारोबार एवं छुटे हुए रोजगार मिल जायेंगे । फलतः वे तात्कालिक लाभ के रूप वे सब कुछ पा लेंगे जो गरीबी मिटाने के लिए काफी होगा ।

दीघ्रकालीन योजना - इस फार्मूले को भविष्य में राजनीतिक पार्टियों की तरह विस्तार किया जायेगा । यानि राज्य से जिला, जिला से कस्बा, कस्बा से गाँव, एवं गाँव से घर-घर ले जाने का प्रयास किया जायेगा । जिस दिन ऐसा हो जायेगा । समझ लिजिए महाराष्ट्र का कायाकल्प हो जायेगा । वहाँ के प्रत्येक लोगों के पास रिलांयस जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां होगी । अमेरिका जैसा देश मराठियों से कर्ज मांगेगा । आप जानना चाहेंगे कैसे तो सुनिये-जब इस फार्मूले को पहले बड़े शहरांे मे लागू किया जायेगा तो वहाँ से अन्य भाषा-भाषी जो कारोबार एवं रोजगार छोड़कर जाऐंगे, मराठियों को मिलेगा। फिर महाराष्ट्र में क्षेत्रवाद पर काम किया जायेगा। एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के लोगों को मारपीट कर निकाल जाऐगा, इससे भी सभी क्षेत्र के लोगों को रोजगार एवं कारोबार मिलेगा। इसके बाद जिलास्तर पर काम होगा, फिर कस्बास्तर पर, फिर गाँवस्तर पर और सबसे अंत में परिवार स्तर पर। जब परिवार स्तर पर काम होगा तब इसकी असली फायदे नजर आयेगें। परिवार के एक-एक सदस्य रोटी, कपड़ा और मकान जैसी आवश्यकताओं की पूत्र्ति के लिए खुद मेहनत करेगें। इससे परिवार के प्रत्येक सदस्य का खुद का खेती होगा, कपड़े बनानेवाली खुद की कंपनी होगी, जिसमें वे स्वयं सभी काम करेगें एवं देखेंगे। मकान के लिए आवश्यक वस्तुओं का खुद निर्माण करेगें एवं संबधित कारखाना खुद लगायेगे। इससे प्रत्येक मराठी का खुद का हजारों कारखाने हो जायेंगे। सोचिये मराठी तब कितने तरक्की करेंगे?

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