मंजिल तो पाना है।
शिखर पर जाना है।
चाहे कुछ भी हो जाये,
खुद से किये वादा निभाना है।
संजय कुमार निषाद
Wednesday, November 2, 2016
अपनी मर्यादा अपने हाथ।
मन का जीते जीत है, मन का हारे हार का आशय है अगर हम मनोबल उॅचा रखेंगे तो हमें उपेक्षित सफलता अपने कार्य में अवश्य मिलेगी। इसी तरह अगर सम्मान पाना चाहते हैं तो दूसरों का हमें सम्मान करना होगा। हमें अपना आचरण सुधारना होगा, दूसरों के साथ व्यवहार ठीक करना होगा। मीठी बाणी बोलना होगा इत्यादि अनेक सद्गगुगों को अपनाना होगा। आत्ममंथन कर सोचना होगा कि दूसरों का कौन सा व्यवहार हमें अच्छा लगता है वैसा ही व्यवहार हम दूसरों के साथ करें। जब हम सहनशील एवं गंभीर रहेंगे तब बड़ी से बड़ी योजनाएॅ बनायेंगे एवं सम्पादित करेंगे।
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