मंजिल तो पाना है।

शिखर पर जाना है।

चाहे कुछ भी हो जाये,

खुद से किये वादा निभाना है।

संजय कुमार निषाद


Wednesday, November 2, 2016

अपनी मर्यादा अपने हाथ।

मन का जीते जीत है, मन का हारे हार का आशय है अगर हम मनोबल उॅचा रखेंगे तो हमें उपेक्षित सफलता अपने कार्य में अवश्य मिलेगी।  इसी तरह अगर सम्मान पाना चाहते हैं तो दूसरों का हमें सम्मान करना होगा।  हमें अपना आचरण सुधारना होगा, दूसरों के साथ व्यवहार ठीक करना होगा।  मीठी बाणी बोलना होगा इत्यादि अनेक सद्गगुगों को अपनाना होगा।  आत्ममंथन कर सोचना होगा कि दूसरों का कौन सा व्यवहार हमें अच्छा लगता है वैसा ही व्यवहार हम दूसरों के साथ करें।  जब हम सहनशील एवं गंभीर रहेंगे तब बड़ी से बड़ी योजनाएॅ बनायेंगे एवं सम्पादित करेंगे।

निषाद समाज इस देश में सम्मानित समाज के श्रेणी में अभी भी नहीं माना जा रहा है। इस माज को हर क्षेत्र में हेय दृष्टि से देखा जाता है।  यह समाज अभी तक किसी भी क्षेत्र में अपने को श्रेष्ठ साबित नहीं कर पा रहा है।  यहॉ तक कि अछूत समझेजाने वाली जातियों से भी आज इसकी स्थिति बदतर है।  इसका कारण समाज अपनी मर्यादा सुरक्षित नहीं रख सका। कलांतर का श्रेष्ठ समाज अपमानित है।  अत: निषाद समाज को अपनी मर्यादा की रक्षा के लिए खुद यत्न करना पड़ेगा।  समाज में मद्यपान,धूम्रपान और जुआ का प्रचलन अत्यधिक है।  घोर अशिक्षा के कारण रूढ़िवादिता, अंधविश्वास,अंधभक्ति, कुरीतियॉ से समाज ग्रसित है।  इन सबों से छुटकारा पाकर ही कोई समाज मर्यादित हो सकता है, देश के मुख्यधारा में शामिल हो सकता है। अत: समाज के प्रत्येक भाई बहन से मेरा अनुरोध है कि अपनी मर्यादा बचाने के लिए, दुर्गुणों को त्यागकर शीघ्र ही सदगुणों को अपनायें।  एकता के अभाव में अधिकार पाना असंभव है।  अत: समय—समय पर देश को अपनी चट्टानी एकता का परिचय दें।  समाज की मर्यादा आपके हाथ है।

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