बंधुओं जब हम शारीरिक रूप से बीमार या कमजोर होते हैं, तो क्या करते हैं? सबसे पहले किसी अच्छे चिकित्सक से उपचार या सलाह लेते हैं। तत्पश्चात उनके द्वारा सुझाये गये दवाईयां एवं भोजन का नियमित एवं समय सारणी अनुसार सेवन करते हैं। कुछ दिनों में हम स्वास्थ्य को फिर से प्राप्त करते हैं। चिकित्सक द्वारा सुझाये गये दवाईयॉं में कुछ दवाईयॉं रोग ठीक करने के लिए और कुछ दवाईयॉं शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए होती है, जैसे विटामिंस, केल्सीयम, मिनरल्स इत्यादि।
जिस प्रकार कमजोर शरीर से हम ज्यादा श्रम नहीं कर सकते हैं। ठीक उसी प्रकार कमजारे बुद्धि से हम मनोवांछित सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। अविकसित यानि पिछड़ा समाज अभी भी मानसिक और बौद्धिक रूप से कमजोर है। एसे समाज के शिक्षित व्यक्ति् भी बौद्धिक रूप से कमजोर हैं। ध्यान दें, शिक्षित व्यक्ति बौद्धिक रूप से भी विकसित हो यह जरूरी नहीं हैं। अशिक्षित व्यक्ति या अल्प शिक्षित व्यक्ति भी बौद्धिक रूप से विकसित हो सकते हैं।
संसार में कुछ सफल व्यक्ति मामूली स्कूली शिक्षा ग्रहण किये थे पर वे बौद्धिक रूप से काफी विकसित थे। बहुत हद तक इसमें हमारी शिक्षा नीति का भी दोष है। सिर्फ पढ़ने—लिखने से अक्षरों और हमारे बीच परिचय पैदा होता है, ज्ञान नहीं। जो व्यक्ति अल्पविकसित समाज के शिक्षित हैं, उन्हें यह भ्रम रहता है वकि वे बौद्धिक रूप से विकसित हो चुके हैं। अब उन्हें कुछ सीखने और जानने की आवश्यकता नहीं है। यही सेच उन्हें जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने नहीं देती है।
दोस्तों अगर जीवन के किसी भी क्षेत्र में तरक्की करना है तो लगातार सीखने की आदत डालनी पड़ेगी। इसके लिए अपनी आय का एक हिस्सा तय कर लिजिये और उस हिस्से को सिर्फ और सिर्फ सीखने पर खर्च किजिये। जिस प्रकार भोजन समयानुसार एवं लगातार जीवन पर्यन्त करते रहते हैं उसी प्रकार दिन का एक समय निश्चित कर लिजिये सीखने के लिए।
अब सवाल उठता है कि सीखा किया जाय? तो इसका सीधा सा जबाव है कि यदि आप किसी रोजगार या व्यापार में है तो अपने रोजगार या व्यापार से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन करें, इससे संबंधित सभाएं—सेमिनारों में जायें और इससे संबंधित यदि बाजार में कोई सी0डी0/डी0वी0डी0 उपलब्ध हों तो उसे सुने। इसमें जो भी खर्च हो बिना सोचे समझे कर सकते हैं। वो बरबाद नहीं जायेगा। कई गुणा वापस आपको देगा। आपकी तरक्की भी होगी। आपको मान—सम्मान भी मिलेगा। यदि आप बेरोजगार हैं तो सबसे पहले तो आप यह तय कर लेें कि आपको करना क्या है? यानि आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर लें। फिर अपने लक्ष्य से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन करें, सभा—सेमिनार या कोचिंग में जायें। ज्यादातर शिक्षित बेरोजगार इसीलिए हैं कि वे शिक्षा तो ग्रहण कर लेते हैं लेकिन उसके बाद घर बैठ जाते हैं। आजकल प्रतियोगिता का जमाना है। आपको हर क्षेत्र में प्रतियोगिता करना है । चाहे सरकारी नौकरी हो या व्यवसाय हो । अगर आप प्रतियोगिता करने में सक्षम नहीं है तो आप पीछे रह जायेंगे। इसीलिए प्रतियोगिता करने लायक बनें।
और प्रतिदिन कम से कम तीस मिनट मोटिवेशन की कोई किताव पढ़ें या सी0डी0/ डी0वी0 डी0 सुनें। साल में कम से कम दो बार तो जरूर किसी मोटिवेशनल स्पीकर के प्रोग्राम में जायें।
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