मंजिल तो पाना है।

शिखर पर जाना है।

चाहे कुछ भी हो जाये,

खुद से किये वादा निभाना है।

संजय कुमार निषाद


Thursday, August 7, 2008

आओ बच्चों तुम्हे दिखाएं

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम ...



उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है

दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है

जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है

बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है

देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,

इस मिट्टी से ...



ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे

इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे

ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे

कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्‍मिनियाँ अंगारों पे

बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की

इस मिट्टी से ...



देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था

मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था

हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था

बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था

यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की

इस मिट्टी से ...



जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ

ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ

एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ

मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ

यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की

इस मिट्टी से ...



ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है

यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है

ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है

मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है

जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की

इस मिट्टी से ...

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