पिछले दिनों मीडिया में यह खबर दिखाई गई कि हाल में जयपुर में संपन्न हुए भारत-पाकिस्तान के बीच एक दिनी क्रिकेट मैच के दौरान कुछ अति-विशिष्ट विदेशी अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया। समाचार में जो दिखाया गया उससे स्पष्ट होता है कि तिरंगा को बिछाकर उसपर शराब की प्याली रखना उन अतिथियों के लिए मनोरंजन का विषय हो सकता है। क्रिकेट बोर्ड के पदाधिकारियों. के लिए उन विदेशी अतिथियों को बुलाना गौरव की बात हो सकती है, लेकिन क्या भारत के आम नागरिक के लिए यह मनोरंजन अथवा सम्मान की बात है? मेरे ख्याल से इसमें उन अतिथियों का कोई दोष नहीं है बल्कि उन्हें बुलाने वाले दोषी है। आयोजक को चाहिए था कि अगर उनका अति-विशिष्ट अतिथि कोई विदेशी है तो उनके लिए उनके जरुरतों की चीज का इंतजाम करें। भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वहाँ क्या काम था ?
इस प्रकरण से एक चिंतन का विषय और हो सकता है कि क्या खेल के मैदान में सिर्फ मनोरंजन के लिए राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग पर रोक नहीं लगाना चाहिए? हमलोग बचपन से सुनते आ रहे हैं ‘ खेल को खेल भावना से खेलना चाहिए ‘ तो क्या खेल के दौरान राष्ट्रीय ध्वज चाहे वह किसी भी देश का हो, फहराना खेल भावना है ?
भारत में क्रिकेट को राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का विषय बनाया जा रहा है। यह कहाँ तक उचित है? आज हमारे राष्ट्रीय खेल और खिलाड़ियों की दुर्दशा पर सोचने के लिए किसी पास समय नहीं हैं। राष्ट्रीय खेल के प्रतिष्ठित खिलाड़ी एक-एक रुपया के लिए मोहताज है, लेकिन क्रिकेट के खिलाड़ी दिनों दिन मालामाल हो रहे हैं। सिर्फ राष्ट्रीय खेल ही क्यों क्रिकेट के अलावा यहाँ के अन्य सभी खेलों के साथ तो सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। परिणामत: जब अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेलों की प्रतियोगिता होती है तो पदक तालिका में हमारे देश का नाम नीचे लिखा होता है, तो भी हमें शर्म नहीं आती है। हमें तो सिर्फ क्रिकेट वर्ल्ड कप चाहिए।
वैश्वीकरण के इस दौर में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत जैसे देश में अपने उत्पाद को खपाने के लिए क्रिकेट एक अच्छा हथियार मिल गया है। इसीलिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड सबसे अमीर बोर्ड है। हमारा मतलब यह इससे नहीं है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अमीर क्यों है? हमारा मतलब इससे है कि धन के मद में हमारे राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गीत या हमारी सभ्यता- संस्कृति का अपमान नहीं हो। अच्छा तो यह होगा कि खेल के मैदान में राष्ट्रीय ध्वज का इस तरह का खुला प्रदर्शन न हो, यानि दर्शक राष्ट्रीय ध्वज मैदान में न लेकर जायें।
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