मंजिल तो पाना है।

शिखर पर जाना है।

चाहे कुछ भी हो जाये,

खुद से किये वादा निभाना है।

संजय कुमार निषाद


Tuesday, August 14, 2007

आयें युग का मान बदल दें

सदियों से शोषित-दलित और उपेक्षित,

उपजाति, कुरी गोत्र में खंडित।

अशिक्षा, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता से ग्रसित।

बिन मांझी की नौका सी दिग्भ्रमित।

कोटि-कोटि मानव का अज्ञान बदल दें।

आयें युग का मान बदल दें।

घूँट आँसुओं के पीते हैं जो.

शोलों और अंगारों पर जीते हैं जो।

अनवरत, अथक परिश्रम कर दर्द छिपाते सीनें में,

चीड़ सुदामा सा सीते हैं जो।

उनके माथे का निशान बदल दें।

आयें युग का मान बदल दें।

कोटि-कोटि निर्बल मानव.

ताक रहे निर्मल अनंत नभ।

क्षण भर में कर दे जो विप्लव,

आयेगा कब वह मनुज प्रगल्भ।

हम उनका अरमान बदल दें।

आयें युग का मान बदल दें।

मूक-पाषाण सा अनंत पथ को निहारता,

शायद मिट चुकी उनकी भाग्य की रेखा।

भूल चुके हैं इनको इनके भाग्य विधाता।

या है पूर्व जन्म का लेखा-जोखा।

हम विधि का वह विधान दें।

आयें युग का मान बदल दें।

संजय कुमार निषाद

Monday, August 13, 2007

ड्रेस का चक्कर

चार मित्र थे, लेकिन चारों अलग-अलग धर्म के मानने वाले थे। एक हिन्दू, दूसरा मुसलमान तीसरा सिख और चौथा ईसाई। एक बार चारों का मन हुआ कि हवाई सैर किया जाए। योजना क्रियांवित हुई, चारों एक हेलीकॉप्टर से सैर करने निकले। पर क्या? कुछ ही दूरी पर पायलट ने सूचित किया कि ईंजन में खराबी आ गई है।हेलपकॉप्टर को न तो बचाया जा सकता है न ही जमीन पर उतारा जा सकता है। अब तो मरने के अलावा कोई चारा नहीं है। चारों के हाथ से तीतर उड़ गए, काटो तो खून नहीं।

चारों ने बचने का एक उपाय ढूँढ़ा कि अपने-अपने इष्टदेव का नाम लेकर नीचे कूद जाते है अगर उपर वाले की मर्जी होगी तो बचा लेंगे। एक-एक कर अपने-अपने इष्टदेव का नाम लेकर कूदने लगे। पहले ईसाई ओह गोड मुझे बचा लो- कहकर कूद गये और सकुशल धरती पर पहुँच गये। गॉड को थैंक कहा और बाँकी तीनों का इंतजार करने लगा। इसके बाद सिख वाहे गुरू मुझे बचा लो- कहकर कूद गये और सकुशल धरती पर पहुँच गये। वे भी वाहे गुरू को लख-लख शुक्रिया कहा और बाँकी दोंनो का इंतजार करने लगा।इसके बाद मुसलमान भाई अल्लाह मुझे बचा लो- कहकर कूद गये और सकुशल धरती पर पहुँच गये। अल्लाह को शुक्रिया कहा और बाँकी एक का इंतजार करने लगा।अंत में हिन्दू अकेला बचा था कॉपते-कॉपते उसने जय श्रीराम मुझे बचा लो- कहकर कूद गये । लेकिन यमराज के डर से आधे रास्ते में बोला सीता मैया मुझे बचा लो। धरती पर पहुँचे और मर गये।

मरने के बाद यमराज के पास पहुँचा और गाँधीगिरि करने लगा। भगवान राम से मिलने की मांग लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गया। स्वर्ग के सारे अधिकारी कर्मचारी परेशान हो गये। अंत में मांग पूरी की गयी और उसे भगवान राम से मिलवाया गया। भगवान श्री राम ने उसकी मिलने का कारण पूछा तो उसने गुस्से में कहा- भगवान इसाई दोस्त अपने गॉड का नाम लिया, हेलीकॉप्टर से कूदा और बच गया। सिख दोस्त वाहे गुरू का नाम लिया, हेलीकॉप्टर से कूदा और बच गया। मुसलमान दोस्त अपने अल्लाह का नाम लिया, हेलीकॉप्टर से कूदा और बच गया।
मैंने आपका नाम लिया हेलीकॉप्टर से कूदा और मर गया, मेरी क्या गलती थी? अगर उन लोंगो का ईश्वर उसे बचा सकते हैं तो आप मुझे क्यों नहीं बचाये? भगवान श्रीराम ने मुस्कुराते हुए समझाया, वत्स इसाई गॉड का नाम लिया। मैं गॉड बनकर गया और बचा लिया। सिख वाहे गुरू का नाम लिया। मैं गुरू बनकर गया और बचा लिया। मुसलमान अल्लाह का नाम लिया। मैं अल्लाह बनकर गया और बचा लिया। तुमने राम का नाम लिया। मैं राम बनकर जा ही रहा था कि आधी रास्ते में तुमने सीता मैया को पुकारा। मैं सीता बनने लगा। परेशानी यहीं उत्पन्न हो गयी मुझे सा़ड़ी पहनने में थोड़ी देर हो गई, और तुम्हे बचा नहीं सका। वास्तव में मैं एक ही हैं।